लल्लन प्रसाद यादव

अगस्त, 2025 |

मैंने पैका में 1991 में काम शुरू किया, तब मेरी उम्र सिर्फ 25 साल थी। जिज्ञासु था, सीखने के लिए तैयार। डाइजेस्टर से लेकर पोचर, स्टॉक से लेकर टीडीआर तक — फर्श पर जो भी आया, सब सीखा। न कोई दबाव था, न डांट — बस एक ऐसी जगह मिली जहाँ मैं खुलकर बढ़ सका। इसी तरह मैं इस टीम का स्थायी हिस्सा बन गया।

अब मैं 60 साल का हूँ, और रिटायर हो रहा हूँ — दिल में अनगिनत यादें समेटे हुए। पल्प मिल, दोस्तियाँ, और वो सब कुछ जो हम सबने मिलकर बनाया। पैका मेरे लिए सिर्फ नौकरी नहीं थी — यह मेरा शिक्षक बना, मेरा सहारा बना, मेरा दूसरा घर बना।

युवा साथियों से कहूँगा — इस जगह को दिल से संभालना। यह सिर्फ एक कंपनी नहीं, यह तुम्हारी नींव है, तुम्हारी विरासत है। सीखो, बढ़ो, और इसे सहेजकर रखो।

आज मेरा आखिरी आधिकारिक दिन है, लेकिन मैं दूर नहीं जा रहा। समय-समय पर आता रहूँगा, क्योंकि यह रिश्ता खत्म नहीं हो रहा — बस एक नए रूप में आगे बढ़ रहा है।

इन 35 अनमोल सालों के लिए धन्यवाद, पैका।

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