याद है बचपन का गणेश उत्सव, जब हर साल स्टार गोल्ड पर ‘बाल गणेश’ देखना एक परंपरा सा था? 🥹
इस गणेश उत्सव पर हम नोएडा कार्यालय में फिर बच्चे बन गए।
सब साथ बैठे, “ओ माय फ्रेंड गणेशा” गुनगुनाया, मिट्टी से खेले, टेढ़े-मेढ़े आकारों पर खूब हंसे और आखिरकार अपने हाथों से सबसे प्यारे छोटे गणेशा बनाए।
ये बात मायने नहीं रखती कि वो कितने परफेक्ट बने… मायने रखता है कि उन्होंने हमें कितना खुश कर दिया
त्योहार हमें याद दिलाते हैं – खुशी छोटी-छोटी चीज़ों में छुपी होती है।