
19 अप्रैल 1981 को, आम के एक पेड़ की छांव में, एक शांत लेकिन बेहद मजबूत सफर की शुरुआत हुई। सिर्फ 21 साथियों और एक साझा सपने के साथ, के.के. झुनझुनवाला जी ने पैका की नींव रखी। न कोई इमारत थी, न मशीनें—बस एक ज़मीन का टुकड़ा, एक तंबू, और कुछ करने का जज़्बा। यही तंबू एक महीने तक उनका घर बना रहा। दिन-रात वहीं रहते हुए, इन 21 साथियों ने उस सपने को जीया, सँवारा और मजबूत किया।
के.के. सर ने कभी मालिक की तरह नहीं, परिवार के मुखिया की तरह नेतृत्व किया—सरल, विनम्र और सभी को साथ लेकर चलने वाले। सबने मिलकर सिर्फ एक कंपनी नहीं, बल्कि एक अपनापन और भरोसे का माहौल खड़ा किया। वो शुरुआती दिन संघर्ष से भरे थे, लेकिन उससे भी ज़्यादा भरे थे अपनेपन, यकीन और साथ के जज़्बे से।
आज जब हम पीछे मुड़कर देखते हैं, तो लगता है कि उस आम के पेड़ की छांव में बोया गया बीज आज एक मजबूत और फलदार पेड़ बन चुका है—जिसकी जड़ें इन्हीं 21 साथियों के समर्पण में हैं।
पहले 21 – पैका की पहली जड़ें
उन 21 साथियों को सादर नमन, जिन्होंने इस सपने की शुरुआत में साथ दिया:
- आशाराम वर्मा
- गंगा प्रसाद
- राम सवारे
- राम लोक
- गया प्रसाद
- कौशल किशोर श्रीवास्तव
- उदय राज
- यश राज
- हरिराम
- मोती राम
- आर.एन. चक्रवर्ती
- बाबूलाल यादव
- अनंतराम सिंह
- परिकर्मा यादव
- रामदयाल
- मंगरू
- पंचम
- जग्गू
- संचित
- राजनारायण श्रीवास्तव